Friday, February 26, 2021

शांत रविदास के दोहे


 ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,

पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण


करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस

कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास


मन ही पूजा मन ही धूप,

मन ही सेऊं सहज स्वरूप


रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच

नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच


जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,

रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home